Ramnath Vidrohi
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यक्ष्मा जांच हेतु कैदियों की हुई स्क्रीनिंग, 12 संदिग्धों का लिया गया सैम्पल
- मंडल कारा, शिवहर में जिला यक्ष्मा केंद्र की ओर से स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन
शिवहर। जिला मुख्यालय स्थित मंडल कारा में स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान मंडल कारा में कैदियों की यक्ष्मा जांच हेतु स्क्रीनिंग की गयी। इसमें से 12 संदिग्ध का बलगम ट्रूनेट जांच के लिए संग्रह किया गया। कैदियों की एचआईवी जांच की गई और काउंसलिंग भी किया गया। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. जेड जावेद ने कहा कि वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसे लेकर जिला टीबी विभाग द्वारा जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। टीबी मरीजों की पहचान से लेकर निःशुल्क दवा वितरण एवं निक्षय योजना के तहत मरीजों को मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित किया जा रहा है।
फेफड़ों को करता है सबसे अधिक प्रभावित:
डॉट प्लस सुपरवाइजर सुधांशु शेखर रोशन ने बताया कि टीबी रोग हमारे फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। खांसी इसकी शुरुआती लक्षणों में से एक है। सूखी खांसी आना, इसके बाद खांसी के साथ-साथ बलगम व खून भी आने लगते हैं। दो हफ्ते या इससे ज्यादा समय तक खांसी होने पर तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर लोगों को यक्ष्मा की जांच करानी चाहिए।
नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं शिविर:
जेल अधीक्षक डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस तरह के शिविर नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा टीबी एवं एचआईवी से बचाव-उपचार और पोषण सहायता राशि के बारे में बताया गया। उन्होंने कहा कि टीबी का समय पर इलाज जरूरी है। टीबी की जांच व इसके इलाज की सुविधा सभी सरकारी चिकित्सा केंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है। इसलिए रोग संबंधी किसी तरह का लक्षण होने पर तुरंत इसकी जांच कराते हुए इलाज शुरू कराना चाहिए। शिविर में मंडल कारा के डॉक्टर उमाशंकर गुप्ता, परिधापक सौरभ कुमार, एसटीएस पवन कुमार ठाकुर आदि मौजूद थे।
निक्षय मित्र बन जिला को टीबी मुक्त करने में दें योगदान:
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. जेड जावेद ने सामाजिक दायित्व के तहत निक्षय मित्र योजना से जुड़कर जिला को टीबी मुक्त करने में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि निक्षय मित्र योजना एक तरह से टीबी रोग से पीड़ित लोगों को गोद लेने की योजना है। इस योजना के तहत कोई भी सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, राजनीतिक दल, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान टीबी के मरीज को गोद ले सकता है। इस अभियान के तहत व्यवस्था की गई है कि निक्षय मित्र बनने वाला व्यक्ति या संस्था कम से कम एक वर्ष के लिए और अधिक से अधिक तीन साल के लिए किसी गांव, वार्ड, पंचायत, ब्लॉक या जिले के किसी टीबी रोगी/रोगियों को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण, आजीविका के स्तर पर जरूरी मदद उपलब्ध करा सकते हैं।