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जागी आंख का सपना तुम हो...कमर हाजीपुरी

जागी आंख का सपना तुम हो...कमर हाजीपुरी
Ramnath Vidrohi
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जागी आंख का सपना तुम हो
बेगानो   में  अपना   तुम    हो

मेरे   दिल   के   तहखाने   में
हीरे   मोती   सोना   तुम   हो

तेरे    इशारे   पे    जिंदा   हूं
मेरा   मरना  जीना  तुम   हो

तुमने ही एक रोज  कहा था
मेरा  खेल  खिलौना तुम  हो

खार  चुभन  बेचैनी  तुझ  में
फिर भी खूब बिछौना तुम हो

ढूंढ  रहे   सब  लिए  अंगूठी
ऐसा  शोख  नगीना  तुम हो

सारे जग का रिज्क लिए हो
कितना बड़ा भगोना तुम हो

बिना पिए  ही  मतवाला  हूं
साकी जाम व मीना तुम  हो

जेहन में एक तस्वीर तुम्हारी
काशी  और  मदीना  तुम हो

क़मर मिया  के इस जीवन में
दिन और साल महीना तुम हो
                    एक आसान गजल । * कमर हाजीपुरी
भगोना * खाना पकाने का हांडा