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एक महिला मजदूर जो फाइलेरिया उन्मूलन के लिए बनी पैदल सैनिक - सरकारी सुविधाओं से जुडने पर मिला लाभ -

एक महिला मजदूर जो फाइलेरिया उन्मूलन के लिए बनी पैदल सैनिक  - सरकारी सुविधाओं से जुडने पर मिला लाभ  -
Ramnath Vidrohi
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एक महिला मजदूर जो फाइलेरिया उन्मूलन के लिए बनी पैदल सैनिक

- सरकारी सुविधाओं से जुडने पर मिला लाभ 
- फाइलेरिया के पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क मेंबर 

मुजफ्फरपुर। 11 जुलाई 
खरहर गांव, मीनापुर की जसिया देवी की माली हालत गांव में किसी से छिपी नहीं थी। 50 रूपए की दिहाड़ी और उपर से 11 वर्ष से फाइलेरिया त्रस्त पैर। जब तक पति था तब तक कर्ज लेकर यहां वहां दिखाया। कभी किसी तरह की राहत नहीं मिली, पर कुछ महीनों से जसिया देवी काफी खुश दिख रही हैं। वह पैदल ही गांव में घूम रही है। जसिया की यह खुशी उसके हाथीपांव में हुए आराम के कारण है। करीब चार महीने पहले वह महदेइया पंचायत में फाइलेरिया सपोर्ट ग्रुप रजनी के संपर्क में आयी। सरकारी अस्पताल में दिखाया। व्यायाम किया, स्वच्छता का पालन किया। अब उसके हाथीपांव में फर्क उसके सामने था। जसिया को इस जानकारी का ऐसा रंग चढ़ा कि उसने खुद से गांव के ही 12 फाइलेरिया मरीजों को सरकारी अस्पताल की सुविधाओं से जोड़ा। जो जुड़ा उसे भी फायदा हुआ। तब से जसिया देवी अपने गांव मेें फाइलेरिया उन्मूलन के लिए पैदल ही घूमना शुरू कर दिया और गांव वालों ने इनका नाम पैदल सैनिक रख दिया।

कर्ज और रोग दोनों से मिली मुक्ति:
 जसिया देवी कहती है रजनी ग्रुप से जुड़ने का फायदा हुआ कि अब इलाज के लिए कर्ज लेने की नौबत नहीं है। वहीं शरीर भी निरोग है। इसके अलावा परिवार के लोग भी मेरी बीमारी मे राहत देखकर खुश है। 

बेटी ने दिखाया रास्ता:
जसिया देवी कहती हैं महदेइया में मेरी बेटी रहती है। उसे भी फाइलेरिया था। सबसे पहले वहीं फाइलेरिया सपोर्ट ग्रुप से जुड़ी। उसे फायदा हुआ, तक उसने मुझे इसके बारे में बताया और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से भी मुझे जुड़वाया।