Ramnath Vidrohi
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संक्षिप्त संस्मरण।
रेल पैसेज में सोकर सफर करने वाले भारत के
रेलमंत्री बने !ऐसे थे स्वर्गीय पासवान !
दलित सेना के गठन के समय मैं और रामविलास जी। मैं और रामविलास जी 7 दिनों के लिए झारखंड का सफर किया जहां धनबाद से रांची पुरुलिया बंगाल की यात्रा करते हुए अंतिम मीटिंग हजारीबाग के कुज्जू में वहां की विधायिका श्रीमती रमणिका गुप्ता के क्षेत्र में। यहां मीटिंग 7:00 शाम तक चला हम लोग दिन भर के थके ' हुए थे। जल्दी-जल्दी गया लौटने के लिए गाड़ी पकड़ने हेतु हम लोग कोडरमा स्टेशन कुजू से ट्रैकर से आये ! स्टेशन पहुंचने पर दो लाइनपर गाड़ियां लगी थी पासवान जी ने पूछा कि कौन सी गाड़ी है मैंने अंदाज ही बता दिया कि उस पार वाली हम लोग जल्दी जल्दी पुल पार करते हुए प्लेटफार्म पर आए और ट्रेन में सवार हो गए। 3 टायर कोच था। अंदर में काफी भीड़ थी। टीटी को बताया कि एमपी साहब है एक बर्थ दीजिए। लेकिन असमर्थ था एक भी सीट खाली नहीं थी। पूछा कहां तक चलेंगे मैंने बताया कि हम लोग गया चलेंगे। टीटी बोला आप लोग गलत चढ गए। यह ट्रेन कोलकाता जा रही है? खैर आप लोग हजारीबाग रोड स्टेशन उतर जाइए वहां से गया के लिए बहुत सी गाड़ी मिल जाएगी। टीटी ने अपने बैठने वाला सीट पासवान जी को दिया किसी तरह हम लोग हजारीबाग रोड स्टेशन पहुंचे। वहां पहुंचने पर वेटिंग रूम में जाने पर देखा कि मात्र दो कुर्सी थी जिस पर पियक्कड़ों का कब्जा था? किसी ने भी कुर्सी खाली नहीं किया। रामविलास जी अपने बाहर में वेडिंग पर बैठे। प्लेटफार्म प्लेटफार्म पूरा अंधेरा था दूर-दूर तक एक भी यात्री दिखाई नहीं पड़ता था सिर्फ। एक सिर्फ स्टेशन मास्टर के कमरे में लाइट जल रही थी पूरा प्लेटफार्म अंधेरा था। हां गाडी का इंतजार करने लगे। पासवानजी बैठे बैठे आंख मूंद लिया। काफी देर बाद एक ट्रेन आई। मैंने खिड़की खटखटाया। दरवाजा पीटा। लेकिन किसी ने भी डब्बा नहीं खोला। ट्रेन खुल गई। हम लोग वहीं रह गए। दूसरी ट्रेन आई। उसमें भी यही हाल हुआ उसमें भी किसी ने नहीं खोला कितना भी चिल्लाया की एमपी साहब है डब्बा खोलो लेकिन किसी ने नहीं खोला। तीसरी ट्रेन मुंबई जनता आई हमने काफी जोर लगाया दरवाजा पीटा खिड़की पीटा। आखिर गेट खुला, अंदर गया। काफी भीड़ थी। टीटी से बोला एक बर्थ देने के लिए उसने हाथ खड़े कर दिए! रात में किस को उठाये, साहब को मेरे सीट पर बैठा दीजिए। पासवान जी सीट पर बैठ गए। मैं वहीं पर खड़ा हो गया! थोड़ी देर में देख रहा हूं कि पासवान जी को नींद आ गई और झपकी लेने लगे ! मैं भी सहारा लेकर झपकी लेने लगा ! बीच में बीच में मैं पासवान जी को देख लिया करता था एक बार देखा कि वह अपने बेडिंग पैसेज में लगा रहे हैं वेडिंग खोलकर सो गए। मैं भी अपना गमछा बिछा कर बगल में सो गया। दोनों गहरी नींद में थे। गया आने की आभास उन्हें हुआ या आ गयी वे बेडिंग बांधते हुए मुझे जगाया !उठिये सो जाते हैं ! हमलोग गेट पर आये ट्रेन ससरने लगी हमलोग वैसे ही उतरे प्लेटफॉर्म पर जाने में विलम्ब हुआ तबतक पटना आने वाली बरबाडीह एक्सप्रेस खुल चुकी थी !अब गया से पटना के लिए आठ बजे पैसेंजर ट्रेन थी जो लगी थी !वे कुछ बोल नहीं पाए लेकिन अंदर उठ रहे तूफ़ान को हम बिना बोले समझ रहे थे !
खैर पैसेंजर ट्रेन के बिना किवार बाली कूपा में बैठा दिया !ट्रेन खुलने वाली थी बोले बाथ रूम में पानी देखिये !मैंने चेक किया गंदगी का अम्बार ही नहीं पहाड़ था !दूसरे डब्बा तीसरे डब्बा गया वही हालत !गाडी खुल चुकी थी !हम जहानाबाद तक चले आये डब्बा चेक करने के चक्कर में काफी दुरी तक !यहां से दौर कर वहा गए !वे अकेले कृपा में बैठे थे !
गाडी में कोई भीड़ नहीं सुनसान ,कोई सरकारी बॉडी गार्ड नहीं !गया लाइन कोई परेशानी नहीं !आज के दौर में कोई ऐसे सफर नहीं करता खासकर नामी गिरामी नेता !वे कुछ नहीं बोले झपकी लेते रहे !
हमलोग पटना पहुंच चुके थे !पूल पार कर चुके थे अचानक उन्होंने पूछा ..बाथरूम में पानी नहीं था ?मैंने हालत बता दिया !उन्होंने कहा की हमको बताते मेरे पास एयर पैकेट था!स्टेशन पर स्वर्गीय पुनीत राय जी की पुरानी जीप आयी थी हमलोगों को लेकर एमएलए फ़्लैट आया !पुनीत राय जी के फ़्लैट में !यहां से हम अपने रूम फ़्लैट नo.124 जिसमे पासवान जी के नाना सिंघिया विधायक रामजतन पासवान जी रहते थे ,वही मेरा स्थायी निवास था !
अब किसी दिन दूसरे संस्मरण के साथ आऊंगा !!
**यह पोस्ट fb.पर पहले भी कर चुका हूँ ......
आपका रामनाथ विद्रोही !