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ठंढ के मौसम में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक : सीएस

ठंढ के मौसम में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक : सीएस
Ramnath Vidrohi
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- बुखार, खाँसी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षणों की समय पर करें पहचान
- निमोनिया से बचाव में पीसीवी टीका है कारगर

मोतिहारी। मौसम में बदलाव के कारण शाम ढलते ही ठण्ड का अहसास शुरू हो जाता है। ऐसे समय मे कमजोर या कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों को निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। जिले के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि बच्चों में निमोनिया एक संक्रामक रोग है जो ठंढ के मौसम में  होने की संभावना अधिक होती है। उन्होंने बताया कि यह दोनों फेफड़ों की क्षमता को प्रभावित करता है। इसमें बच्चों को सांस लेने में तकलीफ, खाँसी, बुखार, शरीर में दर्द और थकावट जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देते ही इसकी पहचान कर तुरंत चिकित्सीय प्रबंधन जरूरी है। देर करने पर परेशानी बढ़ जाती है। ऐसी परिस्थितियों में बच्चों को बिना देर किए अस्पताल में चिकित्सक से तुरंत दिखाना चाहिए। डीएस डॉ एसएन सिंह ने कहा कि माता पिता को बच्चों को गर्म कपडे पहनाना चाहिए, गर्म व संतुलित आहार देना चाहिए, छोटे बच्चे के डाइपर को सही समय पर बदलने चाहिए व अच्छी तरीके से देखरेख करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उचित खान पान निमोनिया से सुरक्षा का सबसे कारगर तरीका है।

बच्चों को निमोनिया से बचाव में पीसीवी वैक्सीन कारगर-

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि पीसीवी वैक्सीन बच्चों को निमोनिया से बचाने में सहायक होता है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इसे भी नियमित टीकाकरण में शामिल किया गया है। इसे तीन खुराकों में दिया जाता है तथा यह बच्चों को निमोनिया से बचाने में अहम् भूमिका अदा करता है. 2 साल से कम आयु के बच्चों और 2 से 5 साल के बच्चों को अलग अलग निमोनिया के टीकों की सलाह दी जाती है।

निमोनिया भी संक्रामक रोग है-

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निमोनिया से ग्रसित होने का खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा है। दुनिया भर में होने वाली बच्चों की मौतों में 15 प्रतिशत केवल निमोनिया की वजह से होती हैं। यह रोग शिशुओं के मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है, जिसका कारण कुपोषण और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता भी है, निमोनिया से बच्चों के ग्रसित होने की संभावना सर्दियों के मौसम में अधिक होती है।