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चमकी व जेई से निपटने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

चमकी व जेई से निपटने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
Ramnath Vidrohi
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चमकी व जेई से निपटने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

-सदर अस्पताल के सभागार में हुआ ईएमटी प्रशिक्षण
-स्वास्थ्य विभाग एवं केयर इंडिया के सहयोग से पाँच दिनों तक चलेगा प्रशिक्षण

मोतिहारी, 21 अप्रैल। एईएस/जेई (चमकी बुखार) के प्रभाव को नियंत्रित करने को लेकर सदर अस्पताल परिसर में ईएमटी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है। जिले के डीभीडीसीओ डॉ शरत चँद्र शर्मा ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग एवं केयर इंडिया के सहयोग से पाँच दिनों तक चलेगा। उन्होंने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के चयनित मेडिकल ऑफिसर, एंबुलेंस ईएमटी को चमकी बुखार और जेई के बेहतर प्रबंधन को लेकर अलग-अलग बैच में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीँ स्वास्थ्य कर्मियों को एईएस से निपटने की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही इस बीमारी से बचाव के अलावा इसके कारण, लक्षण एवं समुचित इलाज की भी जानकारियां दी गई।

जिले में 3 मामले पाए गए हैं:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा एवं केयर इंडिया की डीटीएल स्मिता सिंह ने बताया कि एईएस/जेई से निपटने और जिले को इनसे मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को एकजुट होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने की जरूरत है। तभी इस बीमारी से सुरक्षित रह सकते और पूर्वी चंपारण जिला एईएस/जेई मुक्त बन सकता है। उन्होंने बताया कि अभी तक जिले में 3 मामले देखे गए हैं।

चमकी से बचाव के लिए तीन उपाय महत्वपूर्ण है:

डॉ शरत चँद्र शर्मा ने बताया कि चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियो का पालन करने के लिए लोगों को जागरूक करें। पहला खिलाओ, दूसरा जगाओ और तीसरा अस्पताल ले जाओ। इसी के तहत बच्चों को रात में बिना खिलाए नहीं सुलाने, सुबह में जगाने और लक्षण महसूस होने पर तुरंत स्थानीय और नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान ले जाने के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करें। उन्होंने कहा कि- जिले वासियों से भी अपील करता हूं कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। बच्चों को संतुलित आहार, मौसमी फल, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए।

ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :

- लगातार तेज बुखार रहना।
- बदन में लगातार ऐंठन होना।
- दांत पर दांत दबाए रहना।
- सुस्ती चढ़ना।
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
- चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।