Ramnath Vidrohi
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दवा की पूरी खुराक लेकर हो सकते हैं फाइलेरिया से सुरक्षित- डॉ शरत चँद्र शर्मा
- क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया
- डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन अवश्य करें
मोतिहारी, 20 अप्रैल
सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जिसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद लोगों में 5 से 15 वर्ष के बाद यह हाथीपांव, बढ़े हुए हाइड्रोसील, महिलाओं के स्तनों में सूजन इत्यादि के रूप में लक्षण दिखाई देता है। यह शरीर को अपंग एवं कुरूप करने वाली बीमारी है। अतः इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि एमडीए अभियान के दौरान दवा का सेवन अवश्य करें,औऱ फाइलेरिया से सुरक्षित रहें।
घरों के आसपास साफ सफाई का रखें ख्याल:
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चँद्र शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया के मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें,साथ ही इससे बचने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत आशा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा साल में एकबार खिलाई जा रही डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन अवश्य कर फाइलेरिया से सुरक्षित हो सकते हैं।
डी.ई.सी. की खुराक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान:
भिडिसीओ सत्यनारायण उराँव ने बताया कि फाइलेरिया की दवा (डी. ई.सी.) खाली पेट न खाएं, दो साल से कम उम्र के बच्चों को इसकी खुराक नहीं खिलानी चाहिए, गर्भवती महिलाओं को इसकी खुराक नहीं खानी चाहिए साथ ही गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को बिना अपने डॉक्टर की सलाह के इसकी खुराक नहीं खानी चाहिए।