ऑर्गेनाइजरऔर पांचजन्य है संघ के इन अख़बारों को वैचारिक विरोधी भी चाव से पढ़ते हैं.वामपंथ और संघ के अख़बारों ने अपनी विचारधारा को मजबूती दिया.संघ के अख़बारों के तेवर सदा वही रहे.मैंने देखा है जितना सम्मान आम खबर नवीसों को कांग्रेस ,जनता दल और राजद ने दिया उतना भाजपा में नए आये चेहरे नहीं देते,जबकि पुराने भाजपाई या संघी आम पत्रकारों को पूरा सम्मान देते थे.आज के दौर में संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए चेहरे पत्रकारिता के क्षेत्र में आये हैं जिन्हें नए दौर के भाजपाई पसंद करते हैं.आम पत्रकारों से वो परहेज करते हैं.क्योंकि ज्यादा रिश्ता बनाने पर अंदर की खबरें न बाहर आ जाएँ.!!