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समेकित सहयोग से आइडीए में हुई लगभग 75 प्रतिशत लक्ष्य की

समेकित सहयोग से आइडीए में हुई लगभग 75 प्रतिशत लक्ष्य की
Ramnath Vidrohi
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समेकित सहयोग से आइडीए में हुई लगभग 75 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति
 
- आशा कार्यकर्ताओं का मिला अमूल्य सहयोग
- 86 फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क मेंबर्स अभियान के दौरान दवा खिलाने में की सहयोग
- आवासीय विद्यालय,जेल, सीआरपीएफ कैंप में भी खिलाई गयी दवा 
- जिलाधिकारी और उप विकास आयुक्त का हर पल मिला सहयोग 
- डब्ल्यूएचओ,केयर,पीसीआई,सीफार जैसी संस्था ने दिया हर स्तर पर साथ 

मुजफ्फरपुर। 6 मार्च
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाया गया आईडीए अभियान समाप्त हो चुका है। जिले में पहली बार चले ट्रिपल ड्रग थेरेपी अभियान को लोगों की सराहना मिली। जिसका नतीजा है कि आईडीए के 2 मार्च के मॉप अप राउंड की समाप्ति तक जिले में कुल लक्षित आबादी 57,78,751 में से 75 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने फाइलेरिया रोधी दवाओं की खुराक का सेवन किया। डॉ सतीश ने कहा कि आइडीए राउंड में गायघाट सबसे आगे रहा।  वहां लक्ष्य से ज्यादा 103 प्रतिशत लोगों को फाइलेरिया रोधी खुराक दी गयी। दूसरे स्थान पर मीनापुर रहा, वहां लक्ष्य के विरूद्ध 96 प्रतिशत लोगों ने फाइलेरिया रोधी खुराक का सेवन किया। ये बातें जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने सोमवार को कही। उन्होंने कहा कि इस फाइलेरिया रोधी खुराक को इतने बड़े लेवल पर दवा उनके ही सामने खिलाना काफी चुनौतीपूर्ण था। इस सफलता में आईसीडीएस,शिक्षा विभाग, पंचायती राज के अलावा हर एक स्तर पर अन्य सहयोगियों का साथ मिला। डब्ल्यूएचओ ने मॉनिटरिंग एवं तकनीकी सहयोग, केयर इंडिया ने प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक समन्वय, पीसीआई ने प्रखंड स्तर तक सोशल मोबिलाइजेशन सहित प्रचार प्रसार तथा सीफार ने मीडिया संवेदीकरण पर अपनी सहभागिता दी।  इसके अलावा मीनापुर और मुशहरी प्रखंड में 86 की संख्या में नेटवर्क मेंबर्स ने अपनी व्यथा के साथ लोगों को फाइलेरिया पर लोगों को जागरूक कर फाइलेरिया रोधी दवाओं की खुराक का सेवन कराया। ऐसा समेकित प्रयास कम ही देखने को मिलता है। 
पहली बार प्रखंड स्तरीय रणनीति पर हुआ काम 
डॉ सतीश ने कहा कि पहली बार जिले में प्रखंड स्तरीय रणनीति बनी। जिसमें नाइट ब्लड सर्वे और प्रखंड स्तर पर माइक्रो प्लान शामिल था। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान भी प्रखंड स्तरीय रणनीति काम आयी और शत प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति हुई। इसे हर प्रखंड में एक उत्सव की तरह मनाया गया। नाइट ब्लड सर्वे के रिजल्ट के अनुसार माइक्रो प्लान में आसानी हुई। 10 फरवरी को जब आइडीए अभियान की शुरुआत हुई तो लगभग छह सात दिनों में ही हमने 42 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति हो गयी।  20 फरवरी तक 1937 नए फाइलेरिया रोगी तथा 825 हाइड्रोसील  के रोगियों की पहचान हुई। शहरी क्षेत्र में पीसीआई के द्वारा जागरूकता रथ को रवाना किया गया। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में आरबीएसके वाहन के द्वारा ऑडियो प्रचार किया गया। दवा खिलाने के लिए जिला भीबीडी कार्यालय द्वारा आवासीय विद्यालय, जेल, सीआरपीएफ कैंप, सरकारी स्कूलों में जाकर फाइलेरिया रोधी दवाओं की खुराक दी गयी। जिलाधिकारी प्रणव कुमार तथा डीडीसी आशुतोष द्विवेदी ने कदम कदम पर अभियान के द्वारा मार्गदर्शन किया। 
आशा कार्यकर्ताओं की मेहनत का परिणाम 
डॉ सतीश ने कहा कि पूरे आइडीए कार्यक्रम के तहत सबसे ज्यादा मेहनत आशा कार्यकर्ताओं ने की है। उन्होंने प्रत्येक दिन 30 से 40 घरों में जाकर उन्हें अपने सामने दवाई खिलाई। इंकार करने वालों को समझाया। रेफरल के लिए रैपिड रिस्पांस टीम को पहुंचाया। उन्होंने हर स्तर पर सहयोग की भावना से आइडीए कार्यक्रम को सफल बनाया।