Ramnath Vidrohi
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जंगे आजादी के प्रथम सेनानी तिलका मांझी को नमन *राजेंद्र सिंह !!
*** अंग प्रदेश( आज का भागलपुर और तब ग्रेटर बंगाल का अंग ) में ही गूंजी थी क्रूर ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ बगावत की पहली हुंकार और वह इंकलाबी ललकार थी एक पहाड़िया सरदार जबरा मांझी उर्फ तिलका मांझी की जिनकी आज 274 वीं जयंती है । वह तिलका मांझी ही थे , जिन्होंने अपने विष बुझे तीर से भागलपुर के प्रथम अंग्रेज कलक्टर आॅगस्टस क्लीवलैंड की हत्या कर जंगे आजादी का आगाज किया था,जिनकी प्रतिमा आज जहां स्थापित है,वह चौंक उन्हीं के नाम पर तिलका मांझी चौक के नाम से चर्चित है।बता दें किब्रितानी हुकूमत द्वारा उनके जंगी कारनामों को अभिलेखों से खरोंच - खरोंच कर मिटा देने की साजिश के बाद भी जनमानस में वह नाम कभी धूमिल नहीं पड़ा और शहादत के खून के छींटे जो वहां गिरे थे,उनकी चीख ने ही उस माटी को भी अमरत्व प्रदान कर दिया और वह स्थल उनके नाम का जयघोष करता हुआ आज नई पीढ़ी को शहादत की उस अमर कहानी से वाकिफ करा रहा है,आने वाली पीढ़ियों को भी सदैव याद दिलाता रहेगा ।जाहिर यह भी हो कि जंगे आजादी बनाम गुलामी की तवारीख पर रोशनी डालने वाले इतिहासकारों ने जिस बंगाल को अंग्रेजों की लंका कह कर संवोधित किया था , उसी का यह हिस्सा अंग प्रदेश बंगाल के बाद दूसरा ऐला भूगोल था,जो ब्रितानी हुकूमत का गुलाम बना लेकिन यही वह भूगोल भी रहा , जहां जंगे आजादी की पहली हुंकार गूंजी।उसी शहीद के नाम आबाद है तिलका मांझी हाट,मुहल्ला और भागलपुर विश्वविद्यालय भी।उस चीखती दास्तान को याद करते हुये क्रांतिदूत तिलका मांझी को जयंती पर शत - शत नमन ।