Ramnath Vidrohi
Views: 187
पिछड़े-दलितों की आवाज थे इन्द्र देव वारिशपुरी।
भगवानपुर !! एकसुलझे इंसान, अपने धुन के पक्के, एक सिद्धहस्त लेखक एवं गीतकार स्वर्गीय इन्द्र देव वारिशपुरी सचमुच बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे।कवि के रूप में प्रसिद्ध स्वर्गीय वारिसपुरी अपने जीवन काल में हिंदी साहित्य को जितना कुछ दिया वह कम नहीं है। उक्त बातें आज वारिशपुर में उनके आवास पर आयोजित उनकी श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कही। डॉक्टर मनोज के संचालन में संचालित कार्यक्रम में मौके पर उपस्थित I.J.A.-के अध्यक्ष रामनाथ विद्रोही ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वे उन्हें गुरु कहें, दोस्त कहें साथी कहें या फिर भाई? उन्होंने कहा कि समय-समय पर उनके लिए जो ऐसी भूमिकाएं उन्होंने बखूबी निभाई उसके वे कायल हैं। शिक्षक एवं कवि अनिल कुमार ने कहा कि आज इन्द्र देव वारिशपुरी हमलोगों बीच भले ही न हो लेकिन उनकी कृतियां उन्हें युगों-युगों तक उन्हें अमरत्व बनाए रखेंगी। मौके पर उपस्थित पूर्व बीआरपी धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि स्वर्गीय इन्द्र देव वारिशपुरी उनके पिता के सहपाठी थे। लिहाजा उनका आना-जाना उनके घर लगा रहता था। वे उन्हें चाचा कहकर पुकारा करते थे। उन दिनों उनकी मुलाकात सरल, अनुशासन प्रिय और एक सशक्त रचनाकार से हुई थी। वे अपने गांव ही नहीं,गोरौल और भगवानपुर प्रखंड के अपने साहित्यिक अवदानों के लिए जाने जाते थे। श्रद्धांजलि सभा में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालने वालों में किरण वारिसपुरी, सुप्रिया कुमारी अंकिता कुमारी, अनामिका कुमारी, अंकुर वारिस पुरी, अपराजिता वारिसपुर, आदित्य, अदिति, डॉक्टर वीणा, डॉक्टर रंजना,पुनम कुमारी, डॉक्टर दीपनारायण,डीपीओ आंनद कुमार,शुभम राज, राजेंद्र जी सहित अन्य लोग शामिल हैं।