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एमडीआर टीबी मरीजों को निजी डॉक्टरों द्वारा भी चिन्हित कर इलाज किया जाएगा

एमडीआर टीबी मरीजों को निजी डॉक्टरों द्वारा भी चिन्हित कर इलाज किया जाएगा
Ramnath Vidrohi
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एमडीआर टीबी मरीजों को निजी डॉक्टरों द्वारा भी चिन्हित कर इलाज किया जाएगा

- शरण व रहमनिया नर्सिंग होम का अधिकारियों ने किया निरीक्षण 
- टीबी मरीजों की समय पर पहचान और इलाज जरूरी: सीडीओ 

मोतिहारी। 
एमडीआर टीबी मरीजों को निजी डॉक्टरों द्वारा भी चिन्हित व इलाज करने क़ो लेकर राज्य एवं केंद्रीय टीम के द्वारा पूर्वी चंपारण में एक निजी नर्सिंग होम को हब के रूप में चयनित करने के लिए शरण नर्सिंग होम एवं रहमानिया नर्सिंग होम का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण दल द्वारा शरण नर्सिंग होम क़ो गाइड लाइन के अनुसार पाया गया और उसका चयन किया गया। जिसका एमओयू आज मंगलवार क़ो डॉ आशुतोष शरण एवं संचारी रोग पदाधिकारी डॉ संजीव के बीच हुआ। यह नर्सिंग होम जिले में टीबी मरीजों की खोज एवं इलाज में कारगर साबित होगा। नोडल चिकित्सक डॉ सुनील कुमार ने कहा कि एमडीआर टीबी (मल्टी-ड्रग-रेजिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस) टीबी का एक खतरनाक रूप है, जिसमें सामान्य टीबी उपचार की दवाएं काम नहीं करती हैं। यदि निजी डॉक्टर इन मरीजों को पहचानते हैं और सही उपचार के लिए संदर्भित करते हैं, तो इससे मरीजों के जीवन की रक्षा में मदद मिल सकती है। 
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ संजीव ने कहा कि एमडीआर टीबी का इलाज कठिन और लंबा होता है। इसके लिए दूसरी लाइन की दवाओं की आवश्यकता होती है। निजी डॉक्टर टीबी के प्रारंभिक लक्षणों को पहचान सकते हैं और मरीजों को परीक्षण के लिए भेज सकते हैं। वहीं डॉ आशुतोष शरण ने बताया कि एमडीआर टीबी का इलाज आमतौर पर दो साल तक चलता है और इसमें दूसरी लाइन की दवाओं का उपयोग किया जाता है। एमडीआर टीबी के इलाज के लिए विशेष दवा भी मरीजों क़ो उपलब्ध करानी होती है।

एमडीआर टीबी के लक्षण:

2 सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, खांसी के साथ बलगम या खून आना, भूख में कमी, वजन कम होना, शाम या रात में बुखार आना, सर्दी में पसीना आना, सांस लेते समय सीने में दर्द होना।  

इस मौके पर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ संजीव, डॉ आशुतोष शरण, डॉ सुनील कुमार, डीईओ अमरेंद्र कुमार, एसटीएलएस जैनेन्द्र कुमार और डॉक्टर फॉर यू के जिला प्रतिनिधि कावेंद्र सागर उपस्थित रहे।