Ramnath Vidrohi
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विश्व स्वास्थ्य दिवस पर मातृ एवं नवजात शिशु के आशापूर्णा भविष्य पर होगा कार्य
-जीवन की स्वस्थ शुरुआत के लिए सुरक्षित गर्भावस्था व सुरक्षित प्रसव जरूरी
-मातृ एवं नवजात की मृत्यु दर को भी काम करने पर रहेगा फोकस
वैशाली।
7 अप्रैल को पुरे जिले में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष इसका थीम स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्णा भविष्य मातृ एवं नवजात शिशु के स्वास्थ्य में सुधार पर केंद्रित है। इस दिवस की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना के साथ हुई थी। जिसका मकसद स्वस्थ जीवन शैली अपने और स्वास्थ्य की गंभीरता को लेना था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 3 लाख महिलाएं गर्भावस्था या प्रसव के कारण अपनी जान गंवा देती हैं। इसके अलावा, 2 मिलियन से ज़्यादा बच्चे अपने जीवन के पहले महीने में ही मर जाते हैं और लगभग 2 मिलियन बच्चे मृत पैदा होते हैं। यह एक बहुत बड़ा और दुखद आंकड़ा है, जो हर 7 सेकंड में लगभग 1 रोकी जा सकने वाली मौत को दर्शाता है।
मातृ एवं नवजात शिशु के आशापूर्णा भविष्य पर होगा कार्य:
जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ कुमार मनोज ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य दिवस के इस वर्ष के थीम में “सुरक्षित गर्भावस्था और सुरक्षित प्रसव” पर जिला अपना फोकस रखेगा। इस थीम के तहत मातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य पर एक साल तक चलने वाला अभियान शुरू किया जाएगा। मालूम हो कि जिले में पहले से ही संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए घरेलू प्रसव मुक्त पंचायत का अभियान चलाया जा रहा है। उच्च जोखिम वाली गर्भवतियों के उचित शल्य प्रबंधन के लिए प्रथम रेफरल इकाई को क्रियाशील एवं मजबूत किया जा रहा है। सदर अस्पताल स्थित विशेष चिकित्सा देखभाल इकाई को भी चलाया जा रहा है। आरोग्य दिवस सत्र और प्रधानमंत्री सुरक्षित योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष अभियान चलाकर उनकी प्रसव पूर्व जांच की जा रही है। इस मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को काम किया जा सकेगा।
महिलाओं की सुनना और परिवारों का समर्थन करना जरुरी
हर जगह महिलाओं और परिवारों को उच्च गुणवत्ता की देखभाल की आवश्यकता है, जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रसव से पहले, दौरान और बाद में समर्थन करे। स्वास्थ्य प्रणालियों को उन कई स्वास्थ्य मुद्दों को प्रबंधित करने के लिए विकसित होना चाहिए जो मातृ और नवजात स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इनमें सीधे प्रसव संबंधी जटिलताओं के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, गैर-संक्रामक बीमारियां और परिवार नियोजन भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, महिलाओं और परिवारों को ऐसे कानूनों और नीतियों द्वारा समर्थन मिलना चाहिए जो उनके स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा करें।