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बचाव एवं समुचित प्रबंधन ही फाइलेरिया का इलाज- जिलाधिकारी

बचाव एवं समुचित प्रबंधन ही फाइलेरिया का इलाज- जिलाधिकारी
Ramnath Vidrohi
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बचाव एवं समुचित प्रबंधन ही फाइलेरिया का इलाज- जिलाधिकारी

-एमडीए अभियान के दौरान सभी योग्य व्यक्तियों को करना चाहिए दवा का सेवन

सीतामढ़ी। जिले में फाइलेरिया ग्रसित रोगियों के जीवन को आसान बनाने हेतु सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखण्ड सामुदायिक उत्प्रेरक और एचडब्लूसी में पदस्थापित सभी सीएचओ का दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। एमएमडीपी वर्कशॉप का उद्घाटन जिला पदाधिकारी रिची पांडे, सिविल सर्जन डॉक्टर अखिलेश कुमार, जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर के यादव और डब्ल्यूएचओ के राज्य प्रबंधक डॉ राजेश पांडे और पीरामल फाऊंडेशन के टीम के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। जिला पदाधिकारी ने बताया कि इस घातक बीमारी से बचाव और समुचित प्रबंधन ही इसका समुचित इलाज है। अतः वर्ष में एक बार एमडीए अभियान के तहत सभी लक्षित व्यक्तियों को इससे बचाव की दवा का सेवन करना चाहिए और पूर्व से ग्रसित हाथीपांव के मरीजों का रख रखाव सही से होना चाहिए। सिविल सर्जन डॉ अखिलेश कुमार ने बताया कि जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में एमएमडीपी की सुविधा फाइलेरिया क्लिनिक के माध्यम से लोगों को प्रदान की जा रही है। जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर के यादव ने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों की जिंदगी काफी चुनौती से भरी होती है। वर्तमान समय में पूरे विश्व में फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों का 40 फीसदी मरीज सिर्फ भारत से है। साथ ही सीतामढ़ी जिले में फाइलेरिया के लगभग 7200 मरीज चिन्हित किया जा चुका है। वैश्विक स्तर पर फाइलेरिया बीमारी से उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक का निर्धारित था। लेकिन केंद्र सरकार ने फाइलेरिया से उन्मूलन का लक्ष्य को तीन वर्ष घटाकर 2027 तक लक्षित किया है। उक्त लक्ष्य को हासिल करने में एमडीए अभियान और एमएमडीपी काफी अहम कड़ी साबित हो रहा है। जिसमें बिहार की भूमिका काफी अहम रही है। इसमें भी खासकर सीतामढ़ी जिले का नाम सबसे पहले पायदान पर है। फाइलेरिया बीमारी के उन्मूलन के लिए सीतामढ़ी जिले ने जो नज़ीर पेश किया है, उसका उदाहरण सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी पेश किया जा रहा है।
उन्मुखीकरण के दौरान चमकी की धमकी पर भी विशेष चर्चा करते हुए बताया गया कि सभी सरकारी अस्पतालों में चमकी से बचाओ के लिए विशेष तैयारी कर  ली गई है। 

कार्यशाला के दौरान फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों को जिला पदाधिकारी के द्वारा दिव्यागता प्रमाण पत्र एवं एमएमडीपी कीट का वितरण किया गया। मौके पर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी स्वास्थ्य विभाग की टीम, एसीएमओ डॉ जेड जावेद, डीपीएम असित रंजन, डीपीसी दिनेश कुमार, भीडीसीओ प्रिंस कुमार एवं पवन कुमार, डब्लूएचओ के राज्य समन्वयक डॉ राजेश पाण्डे एवं जोनल समन्वयक डॉ माधुरी देवराजू, पीरामल के जिला लीड प्रभाकर कुमार, प्रोग्राम लीड रोहित कुमार, कार्यक्रम पदाधिकारी विक्रम कुमार, राजू रंजन, रजनीश कुमार, कमलेश कुमार, सभी भीबीडीएस, सभी सीएचओ एवं अन्य उपस्थित थे।