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भारतीय ज्ञान परंपरा एक समृद्ध विरासत है: प्रो एस के पॉल

भारतीय ज्ञान परंपरा एक समृद्ध विरासत है: प्रो एस के पॉल
Ramnath Vidrohi
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भारतीय ज्ञान परंपरा एक समृद्ध विरासत है: प्रो एस के पॉल 
भारती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय सदातपुर में "भारतीय ज्ञान परंपरा" पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में अंग्रेजी के वरिष्ठ प्राध्यापक व पूर्व प्राचार्य डॉ एस के पॉल ने भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह हजारों वर्ष पुरानी हमारे देश की समृद्ध विरासत है। भारतीय ज्ञान परंपरा ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, कला और संस्कृति का एक समृद्ध मिश्रण है जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है।यह गुरु शिष्य परंपरा की समृद्ध विरासत है, जो वेदों, उपनिषदों एवं पुराणों में दिखाई देती है। यह परंपरा विभिन्न क्षेत्र जैसे दर्शन, गणित, ज्योतिष, चिकित्सा और कला पर भी प्रकाश डालती है। भारतीय ज्ञान परंपरा मानव कल्याण, आत्मज्ञान, पर्यावरण संरक्षण, योग आयुर्वेद पर गहरा ज्ञान प्रस्तुत करती है। भारत के सभी शिक्षण संस्थानों में इसे मुख्य विषय के रूप में लागू करने की जरूरत है।
            विशिष्ट वक्ता एमआइटी के प्राचार्य प्रो मिथिलेश झा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक विज्ञान में एक अद्भुत समन्वय रहा है। भारत के तकनीकी संस्थानों में भारतीय ज्ञान परंपरा विषय की पढ़ाई को लागू करना चाहिए। भारत के मनीषियों और वैज्ञानिकों का योगदान भारतीय ज्ञान परंपरा में अमूल्य रहेगा। 
            लोक शिक्षा समिति के प्रदेश मंत्री डॉ सुबोध कुमार ने कहा कि भारतीय मनीषियों ने अपने गहन चिंतन और अनुसंधान से न केवल अपने देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी विज्ञान और ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है।
        विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ रजनीश कुमार गुप्ता ने भारतीय ज्ञान परंपरा में मनोविज्ञान के अध्ययन के समावेश पर प्रकाश डाला। बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा में मनोविज्ञान, तंत्रिका विज्ञान, प्रकृति, पर्यावरण और सतत विकास जैसे क्षेत्र के अध्ययन पर भी बल दिया गया है।
            वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ विनोद कुमार राय ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक तकनीक के बीच संबंध बहुत गहरा है। तकनीक का इस्तेमाल बुद्धि विवेक के साथ करना चाहिए। शिक्षकों को एक छात्र की भांति हमेशा अध्यनरत होने की जरूरत है, तभी वे समृद्ध ज्ञान के वाहक हो सकते हैं।
           बिहार विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ विनोद कुमार बैठा ने प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला कहा कि प्राचीन शिक्षा व्यवस्था मानवता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आधुनिक शिक्षा से समन्वय बनाकर इस विरासत को और ज्यादा समृद्ध बनाया जा सकता है।
         भारती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के सचिव डॉ ललित किशोर ने भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध आयामों पर प्रकाश डालते हुए विषय प्रवेश कराया।
#इस अवसर पर महाविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
लोक शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव श्री रामलाल सिंह ने  अपने संदेश में कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए महाविद्यालय के प्रबंधन समिति, शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्रों को शुभकामनाएं दिया।
प्राचार्य डॉ राजेश कुमार वर्मा ने आगत अतिथियों का अंगवस्त्रम और बुके देकर स्वागत किया। बताया कि यह सेमिनार दो दिन तक ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में चलेगा। लगभग हर राज्यों से लगभग सौ प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया है।
मौके पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं एवं कर्मचारी गण उपस्थित थे।