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एईएस और जेई के संभावित खतरों से निपटने की तैयारी शुरू

एईएस और जेई के संभावित खतरों से निपटने की तैयारी शुरू
Ramnath Vidrohi
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एईएस और जेई के संभावित खतरों से निपटने की तैयारी शुरू

- चिकित्सा पदाधिकारियों व पारा मेडिकल कर्मियों का हुआ एक दिवसीय प्रशिक्षण 
- चमकी को दें धमकी, सदा तीन बातें रखें याद-खिलाना, जगाना व अस्पताल जाना 

मोतिहारी। 28 फ़रवरी 
स्वास्थ्य विभाग एईएस व जेई के संभावित खतरों से निपटने की तैयारियों में जुट गया है। इसी कड़ी में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चंद्र शर्मा की अध्यक्षता में चिकित्सा पदाधिकारियों एवं पारा मेडिकल कर्मियों का एईएस/जेई यानी चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 
इस मौके पर डॉ शर्मा ने कहा कि चमकी से बचाव के लिए अभिभावकों को अपने बच्चे का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिले में इसके मामले में कमी के लिए लगातार स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से खासकर प्रभावित क्षेत्रों एवं महादलित टोलो में जागरूकता अभियान चलाया जाता है। उन्होंने कहा कि चमकी को धमकी देने के लिए तीन बातें याद रखना जरुरी है- बच्चे को रात में खाली पेट नहीं सोने दें, उसे खाना जरूर खिलाएं। कुछ हल्का मीठा जरूर खिलाएं ताकि ग्लूकोज की मात्रा में कमी न हो। उसे रात के बीच में या सुबह में जगाएं और देखें कि बच्चा बेहोश तो नहीं है। अगर बच्चा बेहोश है तो तुरंत आशा से सम्पर्क कर एम्बुलेंस या निजी वाहन से अस्पताल ले जाएँ। समय व्यर्थ न करें। उन्होंने बताया कि इससे बचाव के लिए सभी सरकारी अस्पताल में नियमित टीकाकरण के साथ जेई का टीकाकरण भी कराया जाता है। 
प्रशिक्षक डॉ पंकज कुमार एवं डॉ फिरोज आलम ने बताया कि चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर का कुशल प्रबंधन जरूरी है। प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान व इलाज से जान की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता है। लिहाजा इसको लेकर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। इन रोगों के लिए अप्रैल से मई का महीना बेहद संवेदनशील है। ये रोग खासतौर पर 1 से 15 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है। कुपोषित बच्चे या वैसे बच्चे जो बिना भरपेट भोजन किये रात में सो जाते हैं, उन्हें ख़तरा ज्यादा रहता है। खाली पेट कड़ी धूप में लंबे समय तक खेलने, सड़ा-गला एवं अधपका फल का सेवन करने वाले बच्चों को भी ये रोग आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है। उन्होंने रोग प्रबंधन व उपचार से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। 
यूनिसेफ़ के धर्मेंद्र कुमार ने भी इसकी पहचान व तैयारी को लेकर अपने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर डीभीबीडीसीओ डॉ शरत चंद्र शर्मा, डॉ पंकज कुमार एवं डॉ फिरोज आलम, यूनिसेफ़ के धर्मेंद्र कुमार, भीडीसीओ रविंद्र कुमार, प्रेमलता कुमारी व अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।