Ramnath Vidrohi
Views: 76
43 लाख लोगों को खिलाई जायेगी फाइलेरिया से बचाव की दवा
- जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा सीफार के सहयोग से हुआ मीडिया कार्यशाला का आयोजन
- फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 10 फरवरी से अगले 17 दिन तक चलेगा आइडीए अभियान
- फाइलेरिया की रोकथाम व सर्वजन दवा सेवन में मीडिया की अहम भूमिका: सिविल सर्जन
हाजीपुर, 8 फरवरी। वैशाली जिले में लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने और बचाव के प्रति जागरूक करने के लिए 10 फरवरी से अगले 17 दिन तक सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (आइडीए) का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा सेंटर फॉर एडवोकेसी एण्ड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में एकदिवसीय मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन डॉ. श्याम नंदन प्रसाद की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में सभी मीडिया कर्मियों से लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करने और सरकार द्वारा चलाए जा रहे सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की गई। सिविल सर्जन ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला एक गंभीर रोग है तथा विकलांगता का प्रमुख कारण है। फाइलेरिया का परजीवी मुख्य रूप से लिम्फेटिक सिस्टम को प्रभावित करता है जो शरीर में तरल पदार्थ के संतुलन को बनाए रखने और संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस रोग के परिणामस्वरूप अंगों में सूजन और विकृति आती है। फाइलेरिया को आमतौर पर हाथीपांव भी कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है। फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ, पैर या हाइड्रोसील (अण्डकोष) तथा महिलाओं के स्तन या जननांग में सूजन का होना होता है।
43 लाख से अधिक लोगों को खिलाई जाएगी दवा
सिविल सर्जन ने बताया कि लोगों को फाइलेरिया संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए आशा व आंगनबाड़ी सेविका द्वारा लोगों को घर-घर जाकर अपनी उपस्थिति में तीनों दवा खिलाई जाएगी। आइडीए कार्यक्रम के दौरान जिले के 43 लाख से अधिक लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी। अभियान जिले के सभी प्रखंडों में चलेगा। इसके लिए कुल 3 हजार 758 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर की 1858 टीम गठित की गयी है जिनकी निगरानी 179 सुपरवाइजर करेंगे। इसके लिए जिले में तीनों दवा का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। उन्होंने बताया कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर बाकी सभी लोगों को दवा खिलाई जानी है। इस बात का ध्यान रखना है कि आशा व स्वास्थ्य कर्मी के सामने ही दवा खानी है और खाली पेट दवा नहीं खानी है। अल्बेंडाजोल की गोली का सेवन आशा की उपस्थिति में चबाकर करना है, शेष दोनों दवा पानी के साथ निगलकर खाना है।
इस तरह फैलता है फाइलेरिया
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ. गुड़िया कुमारी ने बताया कि फाइलेरिया परजीवी से संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। परजीवी से संक्रमित मादा क्यूलेक्स जब किसी व्यक्ति को काटता है, तो माइक्रो फ़ाइलेरिया (परजीवी के लार्वा) उसके शरीर में प्रवेश करा देता है। जिससे वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। इस रोग के लक्षण सामान्यतः 5 वर्ष या कभी-कभी दस वर्ष या इससे भी अधिक समय के बाद दिखते हैं। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, पार्टनर एजेंसी, जीविका, सहित अन्य विभागों द्वारा जागरूकता फैलायी जा रही है और उनका सहयोग भी लिया जा रहा है।
फाइलेरिया की रोकथाम के उपाय
फाइलेरिया की रोकथाम के लिए साल में एक बार एमडीए/आइडीए के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करना जरुरी है। तीन साल में तीन बार यानी आइडीए के दौरान एक-एक बार तीन साल दवा के सेवन से फाइलेरिया की रोकथाम संभव है। वैशाली जिले में आयोजित आइडीए अभियान के दौरान तीन दवा अल्बेंडाजोल डीईसी और आइवरमेक्टिन का सेवन कराया जाएगा।
फाइलेरिया का उपचार
डॉ. गुड़िया कुमारी ने बताया कि एक बार किसी को फाइलेरिया हो जाने के बाद इसका पूर्ण इलाज संभव नहीं हो पाता है। ख़ासकर पैरों में फ़ाइलेरिया होने के बाद इसे पुनः पहले की तरह अच्छा करना काफी मुश्किल होता है। हाइड्रोसिल को जरूर ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है। हाथीपाँव की स्थिति में इसका केवल कुशल प्रबंधन संभव है। इसके लिए सरकार रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) कार्यक्रम के तहत पीड़ित लोगों को एमएमडीपी किट नि:शुल्क प्रदान करती है एवं उन्हें पैरों की साफ-सफाई एवं उचित व्यायाम के जरिए इसके प्रबंधन का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
ध्यान रखने योग्य जानकारी :
- खाली पेट दवा का सेवन नहीं किया जाना है।
- दवा स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही खाना जरूरी है।
- अल्बेंडाजोल की गोली चबाकर खाई जानी है।
- फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए अपने घरों के आसपास गंदा पानी इकट्ठा न होने दें।
- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
मीडिया कार्यशाला में वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी राजीव कुमार सहित अमित कुमार, अनिकेत कुमार, धीरेन्द्र कुमार, मेहाल कुमार, पिरामल के पीयूष चंद्रा सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।