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“समझदारी आई काम-बची कालाजार से जान

“समझदारी आई काम-बची कालाजार से जान
Ramnath Vidrohi
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“समझदारी आई काम-बची कालाजार से जान”

- सरकारी  अस्पताल में इलाज से कालाजार के प्रभाव से मुक्त हुआ प्रमोद राम
- 20 सितंबर को हुआ कालाजार, 24 दिनों तक चला इलाज

मोतिहारी। मोतिहारी शहर के वार्ड नं 04 के हेनरी बाजार के रहने वाले 44 वर्षीय प्रमोद छोटे मोटे काम कर परिवार का गुजारा करते थे। अचानक उसे तेज बुखार हुई, तो उसने चौक से खरीदकर दवाओं का सेवन किया पर उसे आराम नहीं मिला। उसे क्या पता था कि कालाजार भी हो सकता है। कालाजार के कारण प्रमोद को लगातार बुखार व कमजोरी रहने लगा। भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत के साथ उसने पैसे की कमी बताते हुए तुरकौलिया का रुख किया। यहाँ चिकित्सकों ने बुखार  के साथ इन लक्षणों को देख सदर अस्पताल में कालाजार का जाँच कराया। 20 सितंबर को प्रमोद में कालाजार की पुष्टि हुई। परिवार द्वारा उसे राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 22 सितंबर को भर्ती कराया गया जहाँ 24 दिनों तक इलाज के बाद 15 अक्टूबर को कालाजार के प्रभाव से प्रमोद मुक्त हुआ ।

“समझदारी आई काम-बची कालाजार से जान”

प्रमोद राम ने बताया कि कालाजार के कारण जीवन की ऐसी दयनीय स्थिति हो गई थी कि उनका परिवार बेबस हो गया था। एक तरफ पैसे की तंगी से जूझना तो दूसरी तरफ इलाज करवाने की जरूरत। कई लोगों ने झाड़-फूँक  और  ओझा-गुणी के चक्कर मे पड़ने को कहा। किसी ने झोला छाप डॉक्टर से इलाज कराने को कहा। परन्तु इस परिस्थिति में भी मेरा व मेरे परिवार जनों का ही विवेक काम आया। मुझे सरकारी इलाज पर भरोसा था। मेरी समझदारी काम आई-कालाजार से मेरी जान बची।

कालाजार से अब हूँ स्वस्थ्य

प्रमोद राम ने बताया कि कालाजार के कारण मुझे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परन्तु अब मेरी जान बच गयी । उन्होंने बताया कि एक दिन, केयर इंडिया का एक काला-जार ब्लॉक समन्वयक (केबीसी) केशव कुमार जानकारी प्राप्त करने आए। उन्होंने मेरे बारे में सुना और देखने आये। परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत के बाद बताया कि मुझे सरकारी सहायता भी मिलेगी। उन्होंने बताया कि कालाजार से बचने के लिए अपने आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिए, मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए।