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हाथी पाँव के मरीजों के बीच किट वितरण के साथ ही देखभाल के बताए गए तरीके

 हाथी पाँव के मरीजों के बीच किट वितरण के साथ ही देखभाल के बताए गए तरीके
Ramnath Vidrohi
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हाथी पाँव के मरीजों के बीच किट वितरण के साथ ही देखभाल के बताए गए तरीके

- क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया 
- सर्वजन दवा सेवन कर बच सकते हैं फाइलेरिया से
- रामगढ़वा की लक्ष्मी ने सीखा किट उपयोग का तरीका 

मोतिहारी, 03 दिसम्बर

फाइलेरिया रोग को हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। इस रोग से पूर्ण रूप से ठीक होना संभव नहीं है। संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए। इससे बचाव को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी और अल्बेंडाजोल की दवा का सेवन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मनुष्य के शरीर के चार अंगों क्रमशः पैर, हाथ, हाइड्रोसील व औरतों के स्तन को प्रभावित करता है। 

- रामगढ़वा प्रखंड में हुआ किट का वितरण

केयर डीपीओ मुकेश कुमार ने बताया कि पूर्वी चंपारण के रामगढ़वा प्रखंड में 6 फाइलेरिया मरीजों के बीच एमएमडीपी किट के वितरण के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा साफ सफाई के तौर तरीके बताये  गए, ताकि इस रोग के उचित देखभाल की जानकारी मिल सके।

- रामगढ़वा की लक्ष्मी ने सीखा किट उपयोग का तरीका

रामगढ़वा के मंझरिया, शोभा टोला की  लक्ष्मी देवी, जो 45 वर्ष की हैं, वार्ड नं 2 की निवासी हैं, उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के कारण मेरा जीवन कष्टदायक हो गया है।  उन्होंने बताया कि किट के उपयोग से काफी सहूलियत मिल रही है। उन्होंने बताया कि किट के उपयोग से घाव में सुधार हो रहा है। दर्द में काफी कमी है। उन्होंने बताया कि किट में एक टब, एक मग, काटन बंडल, तौलिया, डेटोल साबुन और एंटीसेप्टिक क्रीम दिया गया है। फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए इसका प्रयोग जरूरी है। अब लक्ष्मी लोगों को कहती हैं  कि फाइलेरिया से बचने का सबसे बेहतर उपाय हैं कि सरकार द्वारा जब दवा खिलाई जाए, तो सभी लोग इसका सेवन करें।

- फाइलेरिया के मरीज इस तरह रखें अपना ध्यान

केयर इंडिया के सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि  फाइलेरिया के मरीज हाथ पैरों पर अगर कहीं कोई घाव है तो उसे अच्छे से साफ करें और सुखाकर उसपर दवाई लगाएं। फाइलेरिया के मरीज को अपने पैर बिस्तर से छह इंच ऊंचा रखना चाहिए। पैरों को बराबर रख कर रिलेक्स रखना चाहिए। पैरों में हमेशा पट्टे वाली ढीली चप्पल पहनें । सूजन वाली जगह को हमेशा चोट से बचाएं। एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिए। ऐसी स्थिति में पैर को लगातार साबुन से साफ करना चाहिए। सभी घाव के साथ पैरों और उनके अंगुलियों के बीच हुए क्रैक या गैप में एन्टीबैक्टेरियल और एन्टीफंगल क्रीम लगाना चाहिए। पैर में ज्यादा जलन होने पर उसे ठंडे पानी में डालना चाहिए।