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ये हैं मुजफ्फरपुर की पुष्पा, न रुकी न झुकी

ये हैं मुजफ्फरपुर की पुष्पा, न रुकी न झुकी
Ramnath Vidrohi
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ये हैं मुजफ्फरपुर की पुष्पा, न रुकी न झुकी

- मार्गदर्शन में करा चुकी हैं 15 हजार प्रसव
- कई बार कठिन परिस्थितियों में करा चुकी हैं प्रसव

मुजफ्फरपुर। 2 दिसंबर

आज महिलाएं अपने जीवन में दोहरी जिम्मेदारी निभाती नजर आ रही हैं । ऐसी ही एक जिम्मेदारी का निर्वहन कुढ़नी में कार्यरत एएनएम पुष्पा निभा रही हैं, परन्तु यहां फर्क इच्छाशक्ति, दायित्व और समाज को कुछ देने का है।  इसमें पुष्पा के एएनएम की छवि कुछ इस तरफ ढली कि लेवर  रूम के इंचार्ज के तौर पर इन्होंने अब तक  15 हजार प्रसव करा दिए हैं। जाहिर है, इस बीच सामाजिक समस्याओं और कई अन्य तरह की दिक्कतों का सामना पुष्पा ने किया, पर यह इनके लगन का ही नतीजा था कि क्षेत्र की महिलाएं प्रसव के लिए सर्वप्रथम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुढ़नी को ही प्राथमिकता देतीं  हैं।

सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ा:

पुष्पा कहती  हैं कि मैं जिस समाज से आती हूं, वहां नर्स के तौर पर काम करना अच्छा नहीं माना जाता था। एक कहावत भी लोग कहते थे कि बिगड़ल बेटा बस में.. बिगड़ल बेटी नर्स में..। यह कहते हुए पुष्पा थोड़ी मुस्कुराती भी हैं, पर अगले ही क्षण कहती  हैं कि मेरी सोच  समाज को कुछ देने की थी।  कोविड के समय में और अपने ड्यूटी के दौरान न जाने मैंने कितनी बार कितने  किलोमीटर पैदल चली। लेवर रूम में कहने को आठ घंटे की ड्यूटी है, मैं खुद कभी 11 घंटे से पहले नहीं गयी। मैं मदर टेरेसा से बहुत प्रभावित थी, इसलिए नर्सिंग को अपना करियर चुना। 2015 से मैं कुढ़नी में पदस्थापित हूं।

कठिन चुनौतियों को भी किया पार:

पुष्पा कहती हैं कि मैं अपने पहले पोस्टिंग पर टीकाकरण का कार्य करती थी। 7 साल पहले जब कुढ़नी आयी थी, तब लेवर रूम में भेजा गया। अमानत ज्योति, बुनियादी,  और कई सारे प्रसव पर प्रशिक्षण लेने के बाद जिले की मेंटर भी बनी। धीरे धीरे मुझमें आत्मविश्वास आने लगा। कई बार ऐसी परिस्थिति भी आयी कि समय के पहले प्रसव कराना पड़ा,  ऐसे में प्रशिक्षण काम आया। उस वक्त डॉक्टर को बताने जाती तो कुछ भी हो सकता था। यहां सेकेंड भी महत्व रखता है। सेफ डिलीवरी कराने पर धीरे -धीरे लोग पहचानने लगे और यहां प्रसव की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ।

ग्रेड ए नर्स भी लेती हैं अनुभव:

ढेर सारे प्रशिक्षण और प्रसव कराने के कारण ही  जानकारी और परिस्थितिवश कार्य करने का  जज्बा मेरे अंदर आया है। अस्पताल में कई ए ग्रेड नर्स आयी हैं, पर वह भी कठिन परिस्थिति में मुझसे मेरा अनुभव लेने आती हैं । मेरी नौकरी के दौरान मेरे बच्चे भी कब बड़े हो गए, पता ही नहीं चला। मुझे लगता है कि मैंने अपने बच्चों से अधिक समय अपने काम को दिया है। परिस्थिति और काम के सामने न रुकी हूं, न कभी झुकी हूं।