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नवजात शिशुओं के उचित देखभाल पर कार्यशाला का आयोजन

नवजात शिशुओं के उचित देखभाल पर कार्यशाला का  आयोजन
Ramnath Vidrohi
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नवजात शिशुओं के उचित देखभाल पर कार्यशाला का  आयोजन

- इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, डंकन अस्पताल एवं पाथ के सहयोग से  कार्यक्रम का आयोजन

- 34 प्रतिभागियों ने लिया प्रशिक्षण


मोतिहारी, 27 नवम्बर। जिले के रक्सौल स्थित डंकन चैरिटेबल अस्पताल के प्रांगण में नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, डंकन अस्पताल एवं पाथ संस्था द्वारा आयोजित किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन डीएमसीए, (एसएनसीयू) हेड डॉ ओमप्रकाश, डॉ प्रशांता गुप्ता, डॉ कामोद झा, डॉ प्रभु जोसफ ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।  इस दौरान 34 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया। डॉ ओमप्रकाश ने अपने संबोधन में कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिशुरोग विषेषज्ञों द्वारा नवजात शिशुओं की देखभाल करने की तकनीकी चिकित्सीय ज्ञान से सभी प्रशिक्षणार्थी अवगत होंगे और उसका उपयोग करेंगे। इसके फलस्वरूप नवजात शिशुओं का उचित पोषण करने और उनकी जिंदगी बचाने में कामयाब होंगे। इससे नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में कमी आयेगी जो बहुत जरूरी है। 
पाथ के स्टेट हेड अजीत कु. सिंह के अनुसार ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे मकसद यही है कि बिहार में वर्तमान शिशु मृत्यु दर प्रति 1000  जीवित बच्चों पर 30 है जबकि देश में मौजूदा यह दर 27 है, को हमें शून्य दर में तब्दील करना होगा। यह तभी मुमकिन होगा जब हम बच्चों के प्रसव कराने से जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों को तकनीकी चिकित्सीय ज्ञान से प्रशिक्षित करेंगे। इस कार्यशाला में दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ और एमओ डॉ ओम प्रकाश के नेतृत्व में बिहार के चार प्रतिष्ठित नियोनेटोलॉजिस्ट ने 34 प्रशिक्षणार्थियों को शिशु के जन्म के समय से देखभाल  के बारे में प्रशिक्षण दिया ताकि नवजात शिशु की जिंदगी बचायी जा सके। सभी  प्रशिक्षणार्थी को तीन समूह में बांट कर विषेषज्ञ डॉक्टरों ने उन्हें नवजात शिशुओं के जन्म से संबंधित चिकित्सीय तकनीकी ज्ञान प्रदान किया।
 
कार्यशाला के मुख्य बिंदुः
•प्रसव पूर्व किस प्रकार की तैयारी की जानी चाहिए
•नवजात शिशुओं की नियमित देखभाल कैसे  करें
•जन्म के तुरंत बाद जब बच्चा नहीं रोये तो क्या किया जाना चाहिए
•जब बच्चे का हर्ट रेट 100 से अधिक हो और इससे कम हो तो क्या करना चाहिए
•हर्ट बीट जब कम हो तो क्या करना चाहिए

सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र दिया गया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रशांत कुमार ने दिया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि उत्साह के साथ सभी प्रशिक्षणार्थियों ने कार्यक्रम में भाग लिया। उसी उत्साह से अपने कार्यक्षेत्र में प्राप्त ज्ञान को धरातल पर उतारेंगे तो हम सभी नवजात षिषु मृत्यु दर को अति अल्प करने में कामयाब हो सकेंग। 
इस कार्यशाला में डॉ ओमप्रकाश, डॉ प्रशांता गुप्ता, डॉ कामोद झा, डॉ प्रभु जोसफ, चन्द्रेश्वर सिंह,पाथ प्रतिनिधि सिद्धान्त कुमार, प्रशांत कुमार उपस्थित थे।