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शौर्य की प्रतिमूर्ति झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती श्रद्धा के साथ मनाई गई !!

शौर्य की प्रतिमूर्ति झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती श्रद्धा के साथ मनाई गई !!
Ramnath Vidrohi
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हाजीपुर। जिला विधिज्ञ संघ भवन में शौर्य की प्रतिमूर्ति झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती श्रद्धा के साथ उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण कर जिला विधिज्ञ संघ उपाध्यक्ष अधिवक्ता राज कुमार दिवाकर की अध्यक्षता एवं भाजपा बिहार प्रदेश कार्यसमिति सदस्य किसान मोर्चा हरेश कुमार सिंह के संचालन में मनाई गई। अध्यक्षता करते हुए अधिवक्ता राज कुमार दिवाकर ने कहा कि आजाद भारत की आधारशिला और पूर्ण स्वराज के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने आजादी की लड़ाई में छक्का छुड़ाई थी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य किसान मोर्चा हरेश कुमार सिंह ने कहा कि वाराणसी के पूण्य पवित्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक चेतना की भूमि अस्सी घाट काशी में 19 नवंबर 1835 को मोरोपंत तांबे एवं भागीरथी बाई की संतान के रूप में जन्मी रानी लक्ष्मीबाई मात्र सात वर्ष की उम्र में ही घुड़सवारी, धनुर्विद्या, तलवारबाजी में निपुण थीं एवं झांसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ धुमधाम के साथ हुई थी उनकी वीरता एवं दयालुता पर भारत को गर्व है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता अधिवक्ता शंभू नाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नारी के शौर्य की प्रतीक पुज्यनीया लक्ष्मी बाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रदूत बनकर उभरी थी। अधिवक्ता अवधेश कुमार ने कहा कि जिनकी वीरता एवं बलिदान के समक्ष शत्रु भी नतमस्तक हो जाते थे ऐसे महान लक्ष्मी बाई के नाम का स्मरण करने मात्र से भारतीयों के रग रग में देशभक्ति एवं बलिदान का लहू दौड़ पड़ता है। अधिवक्ता हरेकृष्ण झा ने कहा कि नारी स्वतंत्रता के अंधि दौड़ में महाराणी लक्ष्मी बाई केवल भारतीय हीं नहीं वरण संपूर्ण विश्व की नारियों के लिए महान् पथ प्रदर्शक हैं।इस अवसर पर अधिवक्ता शंभू शरण,शिव प्रताप मिश्रा,चन्दन कुमार राय, अरविंद कुमार राय , धर्मेन्द्र कुमार राय, हिमांशु, प्रमोद पासवान,विधानंद चौधरी, अवधेश कुमार मिश्रा,अमरेश प्रसाद मिश्रा, अरुण कुमार सिन्हा, शिव कुमार राम, विनय कुमार झा,मो मोख्तार अहमद सहित काफी संख्या में उपस्थित अधिवक्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर नमन करते हुए कहा कि बुंदेलो हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,खुब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।